Number system part1
संख्यात्मक अभियोग्यता मुख्यत: अंकगणित के विभिन्न विषयों से सम्बन्धित है यह एक विज्ञान है जो एक संख्या से दूसरी संख्या के सम्बन्ध को दर्शाता है। इसमें सभी विधियाँ समाहित हैं जो संख्याओं में लागू होती हैं। संख्यायें आकृति के द्वारा प्रदर्शित की जाती हैं- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 और 0 अंक कहलाती हैं। जिनमें से 0 नगण्य अंक जबकि और अंक महत्वपूर्ण होते हैं।
संख्यायें
आकृतियों का समूह जो अंक प्रदर्शित करता है, संख्या कहलाता है। संख्यायें निम्न प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है।
प्राकृतिक संख्यायें
संख्यायें, जिनका प्रयोग हम वस्तुओं को गिनने के लिए करते हैं प्राकृतिक संख्यायें कहलाती हैं। इन्हें N से प्रदर्शित करते हैं।
N = {1,2,3,4,…….}
पूर्ण संख्यायें
जब हम प्राकृतिक संख्याओं में 0 सम्मलित कर देते हैं तो यह पूर्ण संख्यायें कहलाती हैं। इन्हें W से प्रदर्शित करते हैं।
W= {0,1,2,3,4,5,………}
अभाज्य संख्यायें
1 को छोड़कर वह संख्यायें जो सिर्फ 1 या स्वयं से विभाजित होती हैं अभाज्य संख्यायें कहलाती हैं।
परीक्षण करने के लिए कि दी हुई संख्या अभाज्य है या नहीं
यदि आप परीक्षण करना चाहते हैं कि दी हुई संख्या अभाज्य है या नहीं तो उस संख्या के लगभग वर्गमूल से कम अंक लें। माना यह x है। दी हुई संख्या की विभाजकता x से छोटी अभाज्य संख्याओं से जाँचते हैं। यदि यह उनमें से किसी से भी विभाजित नहीं होती है तो संख्या अभाज्य होगी अन्यथा यह संयुक्त संख्या होगी (अभाज्य के अलावा)
उदाहरण- क्या 349 अभाज्य संख्या है?
हल- 349 का वर्गमूल लगभग 19 है। 19 से छोटी अभाज्य संख्यायें 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17 हैं।
349 इनमें से किसी से भी विभाजित नहीं है। अत: 349 एक अभाज्य संख्या है।
संयुक्त संख्या
वह संख्या (एक को छोड़कर) जो अभाज्य संख्या नहीं है संयुक्त संख्या कहलाती है।
जैसे- 4, 6, 8, 9, 12, 14 ……
सम संख्या
जो संख्या 2 से विभाजित हो जाती हैं सम संख्या कहलाती है।
जैसे- 2, 4, 8, 12, 24, 28 ……
विषम संख्या
जो संख्या 2 से विभाजित नहीं होती हैं विषम संख्या कहलाती है।
जैसे- 3, 9, 11, 17, 19 ……
क्रमिक संख्यायें
संख्याओं की श्रंखला जिसमें प्रत्येक संख्या अपने पहले वाली संख्या से 1 अधिक हो, लगातार संख्याओं की श्रंखला कहलाती है।
जैसे- 6, 7, 8 या 13, 14, 15, 16 या 101, 102, 103, 104
पूर्णांक संख्या
संख्याओं का समुच्चय जिसमें पूर्ण संख्यायें और ऋणात्मक संख्यायें हों पूर्णांकों का समुच्चय कहलाता है। इसे I से प्रदर्शित करते हैं।
जैसे- I = {-4,-3,-2,-1,0,1,2,3,….}
परिमेय संख्या
जब संख्या भिन्न के रूप में लिखी हो तो वह परिमेय संख्या कहलाती है। इन्हें Q से प्रदर्शित करते हैं।
जैसे-
अथवा वे संख्या जिन्हें के रूप में व्यक्त किया जा सके (जहाँ a और b पूर्णांक हैं और b
0) परिमेय संख्या कहलाती हैं।
अपरिमेय संख्या
वे संख्या जिन्हें के रूप में न व्यक्त किया जा सके (जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q 0) अपरिमेय संख्या कहलाती हैं।
वास्तविक संख्या
वास्तविक संख्या में परिमेय तथा अपरिमेय दोनों संख्या आती हैं।
सरलीकरण के नियम
(i) किसी व्यंजक को सरल करते समय सबसे पहले रेखा कोष्ठक को हटाते हैं। जैसे हम जानते हैं कि – 8 – 10 = -18
लेकिन = - (-2) = 2
(ii) रेखा कोष्ठक हटाने के बाद क्रमश: { }, [ ] कोष्ठक हटाते हैं।
(iii) कोष्ठक हटाने के बाद हमें निम्नलिखित संक्रियायें निम्न क्रम में करनी चाहिए।
(a) का (b) भाग (c) गुणा (d) जोड़ और (e) घटाना
नोट- इस नियम को ‘VBODMAS’ का नियम कहते हैं जहा V, B, O, D, M, A और S क्रमश: Vinculum, Brackets, Of, Division, Multiplication, Addition और Subtraction हैं।
उदाहरण- सरल करें-
हल-
परिमेय संख्या और अपरिमेय संख्या में आरोही या अवरोही क्रम
नियम 1. जब भिन्न के अंश और हर क्रमश: एक निश्चित संख्या में बढ़े तो अन्तिम भिन्न बड़ी होगी।
उदाहरण: निम्नलिखित अंशों में सबसे बड़ी भिन्न है?
हल- हमने देखा ऊपर भिन्न में अंश और हर दोनों में एक की वृद्धि हो रही है इसलिए अन्तिम भिन्न बड़ी होगी।
नियम 2. भिन्नों का तिर्यक गुणा करने के बाद जिसका अंश बड़ी संख्या देता है वह भिन्न बड़ी होती है।
उदाहरण- कौन बड़ी है-
हल- सामान्यत: छात्र इस प्रश्न में भिन्न को दशमलव मान में बदलकर या हर बराबर करके हल करते हैं। लेकिन हम आपको शीघ्र उत्तर प्राप्त करने की एक अच्छी विधि बताते हैं।
चरण 1. दोंनो भिन्नों का तिर्यक गुणा करने पर
हमारे पास 5 × 14 = 70 और 8 ×9 =72
चरण 2. जैसा कि 72, 70 से बड़ी है और बड़े मान में अंश 9 है इसलिए भिन्न बड़ी है।
उदाहरण- कौन बड़ी है-
हल-
चरण 1. 4 x23 > 15 x6
चरण 2. जैसा कि बड़े मान में अंश 4 है इसलिए भिन्न बड़ी है।
आप देख सकते हैं यह विधि कितनी शीघ्रता से कार्य करती है। अच्छे अभ्यास के बाद आपको उत्तर देने से पहले गणना करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। भिन्नों को आरोही और अवरोही क्रम में व्यवस्थित करना अब आसान हो गया है। किसी समय दो भिन्न चुनें और देखें कौन सी बड़ी है। इस तरह आप भिन्नों को शीघ्र व्यवस्थित कर पायेंगे।
नोट- कभी-कभी जब मान छोटा हो (<10) तब परम्परागत विधि जो कि मान को दशमलव में बदलना या ल. स. प. लेकर हर को बराबर करना आप में कुछ को अधिक अरामदायक लगेगी।
उदाहरण- निम्न को आरोही क्रम में व्यवस्थित करें?
हल- प्रथम विधि
7,5,9,2,5 का ल. स. प. 630 है
अब हर बराबर करने के लिए हम ल. स. प. में हर का भाग देंगे और भागफल में क्रमश: अंश का गुणा करेंगे।
जैसे के लिए 630 ÷ 7 = 90, इसलिए गुणा 3 को 90 द्वारा.
अत: भिन्न
जिसका अंश बड़ा होगा वह भिन्न बड़ी होगी। इसलिए
द्वितीय विधि
भिन्नों को दशमलव में बदलने पर
= 0.428,
= 0.8,
= 0.777,
= 0.5,
= 0.6
अत:,
तृतीय विधि
तिर्यक गुणा के नियम से
चरण प्रथम - पहली दो भिन्न लीजिए। तिर्यक गुणन विधि से बड़ी भिन्न ज्ञात करें
3 × 5< 7×4
चरण द्वितीय - तीसरी भिन्न लीजिए। तीसरी भिन्न और प्रथम चरण से प्राप्त भिन्न में तिर्यक गुणन विधि से बड़ी भिन्न ज्ञात करें।
4 × 9 > 5 × 7
अब हमने देखा कि,
से बड़ी और
व
के बीच है।
इसलिए हम तिर्यक गुणन विधि ,
में लगायेंगे।
.
चरण तृतीय- अगली भिन्न लीजिए। और
में तिर्यक गुणन विधि लगाइये।
अब हमने देखा कि ,
से बड़ी है। अब हम
,
में तिर्यक गुणन विधि लगाएगे।
अब हमने देखा कि ,
से बड़ी है।
अत:
चरण चतुर्थ- समान अनुप्रयागों से हमें ये अन्तिम परिणाम मिलेगा।
नोट- इस नियम की कुछ हानियाँ भी हैं। लेकिन यदि आप शीघ्र कार्य करेंगे तो यह शीघ्र परिणाम देगी। इस विधि को तुरन्त अस्वीकार मत करें। यह आपके लिए अच्छी विधि सिद्ध हो सकती है।
धन्यवाद
Comments
Post a Comment