अश्गाबात समझौता: भारत की सदस्यता के मायने ★
★अश्गाबात समझौता: भारत की सदस्यता के मायने ★
अश्गाबात ,तुर्कमेनिस्तान की राजधानी हैं। यहाँ पर 25 अप्रैल, 2011 को ओमान, ईरान,तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच अशगाबात समझौता हुआ था। ततपश्चात कजाकिस्तान तथा पाकिस्तान [0 अक्टूबर,2016 में] भी इस समझौते में शामिल हो गए। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य मध्य एशिया एवं फारस की खाड़ी के बीच वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही को सुगम बनाने वाले एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन गलियारे का निर्माण करना है। यह गलियारा सड़क,रेल ,वायु परिवहन की सुविधा प्रदान करेगा।
फारस की खाड़ी से मध्य एशिया की इस गलियारें का लाभ लेने के लिए इस समझौते का सदस्य होना, आवश्यक शर्त रखी गई। साथ ही यह भी तय किया गया कि कोई देश इस समझौते में तभी शामिल होगा,जब समझौते के सभी 4 संस्थापक सदस्य देश उस हेतु सहमति देंगें। 23 मार्च,2016 को भारत सरकार ने इस समझौते में शामिल होने के लिए ,अपनी अभ्यर्थना ज़ाहिर की, जिसे चारों संस्थापक सदस्य देशों ने स्वीकृत किया। तत्पश्चात भारत को 3 फरवरी,2018 को इस समझौते की सदस्यता उपलब्ध हो गयी।
भारत का इस समझौते में शामिल होना भारत के लिए कई मायनों में अहम हैं-
१.ईरान के चाहबहार पत्तन के जरिए भारत अपनी पहुंच यूरेशिया क्षेत्र तक सुनिश्चित करेगा। इससे भारत कम परिवहन लागत और त्वरित समय मे अपने उत्पाद यूरेशियन बाजारों में निर्यात कर सकेगा, अतः इससे न केवल चाहबहार की उपयोगिता बढ़ेगी बल्कि पूर्वी यूरोप तक हमारी सुनिश्चित होगी;
२. अब भारत ओमान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान की सड़क, रेल व बंदरगाह परियोजनाओं में हिस्सेदारी ले सकेगा। जिससे चीन के एकाधिकार को अवश्य ही चुनौती मिलेगी;
३. इस समझौते में शामिल होना तथा भारत की मदद से तैयार हो रहा नार्थ साउथ इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट कारीडोर [NSITC] को चीन की वन बेल्ट वन रॉड परियोजना के प्रतिउत्तर के रूप में देखा जा रहा हैं;
नोट- NSITC के सम्बंध में मैं अपने पूर्ववर्ती आलेख में संक्षिप्त जानकरी दे चुका हूं। जिसका लिंक नीचे दे रहा हूँ।
नोट- चीन की OBOR योजना के सम्बंध में मैने एक पूर्ण आलेख लिखा था 5 भागों में । इस लिंक पे जाकर आप यह पांचों आलेख आप पढ़ सकते हैं-
४. मध्य एशिया तथा पूर्वी यूरोप के साथ हमारे राजनीतिक, कूटनीतिक तथा आर्थिक सम्बन्धों को और गति मिलेगी,जिससे न केवल हम उनके प्राकृतिक संसाधनों तक अपनी पहुंच बना सकते हैं बल्कि इन देशों को अपने निर्यात बाजार के रूप में भी स्थापित कर सकते हैं।
Comments
Post a Comment