यकीन की जंग
-: यकीन की जंग:-
जब आपके अरमानों को रंग लगते हे तो लगता हे की सारी दुनिया आपके साथ हे । हर चीज़ अच्छी लगती हे- हवाएं,पत्ते, बारिश, बाज़ार, दोस्त सफ़र ,खाना-पीना आदि आदि.....सब कुछ अपने करीब लगता हे और सभी मै एक अर्थ सा महसूस होता है ! फिर वक्त बदलता हे तो न जाने अचानक सब कुछ बदल जाता हे - पुराने शब्द पात्र वस्तुए ...सब के सब एक नए अनचाहे और नीरस सा अर्थ तलाशते से प्रतीत होते हे । शायद इसी उधेड़बुन में सहेजने-बिखरने के बीच की यह जिंदगी नए मापदंड बना लेती हे। जो सभी के साथ आज तक होता हे, वह अपने साथ होने पर हमेशा यही लगता हे की उन सबसे अलग है मेरा अनुभव । जब बहुत करीब से आप देखते हे तो लगता हे की हर पल को स्थायी मानने की गलती ही तकलीफ देती हे । हम सभी स्थिति प्रज्ञ तो नही हो सकते हे,मगर इस अहसास से जिंदगी ज्यादा खूबसूरत हो जायेगी की बुरे वक़्त में अच्छे पलों को यादो से निकालकर आंखों के सामने दुबारा ज़िंदा कर लूंगा और ख़ुशी के हर पल को अपने खजाने में सजा लूंगा । हर पल मुस्कुराते रहना कठिन हो सकता हे लेकिन नामुमकिन नही हे ।
यह जिंदगी बस यकीन की जंग हे ।
स्रोत:- डॉ. जीतेन्द्र सोनी (IAS)
की डायरी यादावरी का एक वृतान्त।
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