-: संघर्ष ही जीवन हे :-
-: संघर्ष ही जीवन हे :-
इस जीव जगत में मानव ही सर्वाधिक बुद्धिमान हे, जिसके पास समझ हे,बुद्धि हे,विचार सम्प्रेक्षण के लिए भाषा भी,
कहने को तो मानव जीवन कितना सहज लगता है ना किन्तु मानव जीवन इतना सहज न होकर अत्यंत जटिल हे।
मानव को हर कदम पर परिस्तिथियों से संघर्ष करना पड़ता हे जो खराब परिस्थितियों से संघर्ष कर अपने जीवन को सफल बनाये सही मायने में वही सच्चा मानव हे।
इसके उलट वह व्यक्ति जो परिस्तिथियों से हारकर टूट जाता हे, उसे कतई सही मायने में मानव नही माना जा सकता क्योंकि मानव को ईश्वर ने विशाल हृदय वाला बनाया हे, इस विशाल हृदय में सुख-दुःख सभी समेटकर रखता है।
वह व्यक्ति सही मायने में मानव नही हे या यूं कह लीजिए की वह मानव कहलाने की कसौटी पर खरा नही उतरता है
सही मायने में देखा जाए तो संघर्ष ही मानव जीवन का मूल है।
संघर्ष में जीवन आनंद हे ।
मानव जीवन अपने आप में एक प्रेरणा है,कुछ कर दिखाने की और कोई परिस्तिथियाँ इसमें रुकावट बने तो मानव उनसे संघर्ष द्वारा निपट सकता है।
हमे अपने मानवत्व को बनाये रखने के लिए कभी भी संघर्ष का मार्ग नहीछोड़ना चाहिए
क्योंकि! संघर्ष ही जीवन है ।
-: लेखक:-
रोबिन गुर्जर
प्रेरणास्त्रोत:- जितेन्द्र सोनी सर। (जिला कलक्टर झालावाड़) की पुस्तक यदवारि
Sir apke becaro ka abhari Vishnu karauli
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