दुनिया की सबसे तेज ट्रेन हीपरलूप

हाइपरलूप क्या है और भारत के लिए यह महत्वपूर्ण क्यों है?

What is Hyperloop and its importance in India

हाइपरलूप एक ऐसा नया तरीका है जिसकी मदद से दुनिया में कहीं भी लोगों को या वस्तुओं को तीव्रता के साथ सुरक्षित एवं कुशलतापूर्वक स्थानांतरित किया जा सकेगा और इससे पर्यावरण पर भी न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा. हाइपरलूप तकनीक टेस्ला के संस्थापक एलोन मस्क की दिमागी उपज है, जिन्होंने 2013 में इसके मूल डिजाइन को श्वेतपत्र में दिखाया था. अगर यह हाइपरलूप सिस्टम भारत में कामयाब होता है, तो संभवतः दिल्ली और मुम्बई के बीच की दूरी (1200 किलोमीटर) को एक घंटे से भी कम समय में तय किया जा सकेगा और तो और 35 किलोमीटर की दूरी को 5 मिनट में. 
हाइपरलोप में एक 'ट्यूब मॉड्यूलर ट्रांसपोर्ट सिस्टम' है जो कि घर्षण से मुक्त होकर चलेगा. यह सिस्टम एक यात्री या कार्गो वाहन को एयरलाइन की गति से एक स्तरीय ट्यूब के माध्यम से निकट-वैक्यूम में एक रैखिक विद्युत मोटर का उपयोग करके गति प्रदान करता है.
हाइपरलूप कैसे काम करता है

हाइपरलूप में चार प्रमुख विशेषताएं हैं:
1. पैसेंजर कैप्सूल वैक्यूम ट्यूबों की तरह हवा के दवाब से नहीं चलता है, बल्कि यह दो विद्युत चुम्बकीय मोटर द्वारा चलता है. इसकी सहायता से 760 मील प्रति घंटा की गति से यात्रा की जा सकती है.

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2. ट्यूब की पटरियों में वैक्यूम होता है, लेकिन हवा से पूरी तरह से मुक्त नहीं होता है बल्कि उनके अंदर कम दबाव वाली हवा होती है. एयर ट्यूब के माध्यम से चलने वाली अधिकांश वस्तुओं को नीचे लाने के लिए हवा को संपीड़ित करना पड़ता है, जिससे हवा की एक पतली परत उपलब्ध होती है, जो वस्तु को धीमा कर देती है. लेकिन हाइपरलूप में कैप्सूल के सामने एक कंप्रेसर पंखा होगा, जो हवा को कैप्सूल के पीछले हिस्से में भेजेगा, लेकिन अधिकतर हवा को एयर बायरिंग में भेजेगा.
3. एयर बायरिंग में स्की जैसे पैडल होते हैं जो घर्षण को कम करने के लिए ट्यूब की सतह के ऊपर कैप्सूल को हवा में उठाए रहते हैं.
4. ट्यूब ट्रैक को इस प्रकार डिजायन किया गया है कि वह मौसमी घटनाओं और भूकंप के लिए प्रतिरोधक का काम करता है. खम्भे ट्यूब को जमीन से ऊपर उठाकर रखते हैं, उनमें एक छोटा सा फुट प्रिंट होता है जो भूकंप के समय में झुक सकता है. ट्यूब के प्रत्येक अनुभाग लचीले ढंग से ट्रेन जहाजों के चारों ओर घूम सकता है, क्योंकि हाइपरलूप में कोई स्थिर ट्रैक नहीं होता है जिस पर कैप्सूल आगे बढ़ सकता है. ट्यूब ट्रैक के ऊपरी भाग में स्थित सोलर पैनल नियमित रूप से मोटर को ऊर्जा की आपूर्ति करता है. एलोन मास्क के अनुसार इन नवाचारों और पूरी तरह से स्वचालित प्रस्थान प्रणाली से युक्त हाइपरलूप दुनिया में यात्रा करने का सबसे तेज़, सबसे सुरक्षित और सबसे सुविधाजनक रूप है.
अंत में यह कहना गलत नहीं होगा कि इस तकनीक से भारत को काफी फायदा होगा. प्रस्तावित मार्गों और उनकी व्यवहार्यता में, हाइपरलूप संभवत: पांच भारतीय क्षेत्रों में स्टार्ट होने की संभावना हैं: दिल्ली-मुंबई, बैंगलोर-तिरुवनंतपुरम, चेन्नई-बैंगलोर, मुंबई-चेन्नई और एक बंदरगाह संबंधक परियोजना.

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